न्यायालय ने अपने फैसले में माना कि मामले में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके आधार पर आरोपितों को दोषी ठहराया जा सके। अभियोजन पक्ष आरोपितों के खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा है।
पीड़िता ने यह भी कहा है कि उसने अपने पिता को उक्त तथ्यों और परिस्थितियों के बारे में सूचित नहीं किया था। पीड़िता की गवाही असंगत और परस्पर विरोधाभासी है।
अभियोजन पक्ष इस संबंध में कोई भी सबूत नहीं दे सका कि हनी ट्रैप मामले की जांच के दौरान स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को एक युवती की खरीद फरोख्त की जानकारी मिली थी।
इसके बाद सीआइडी भोपाल ने पीड़िता की शिकायत पर मानव तस्करी का एक अन्य केस दर्ज किया था। 27 दिसंबर 2019 को तीनों आरोपित अभिषेक, आरती और श्वेता के खिलाफ चालान पेश किया गया था और पीड़िता के साथ 17 गवाहों की सूची पेश की गई थी।