उज्जैन में वर्ष 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में पवित्र स्नान नर्मदा नदी से लाए गए जल में नहीं, बल्कि क्षिप्रा के जल में ही होगा। इसके लिए मप्र सरकार ने 667 करोड़ लागत वाली एक योजना बनाई है। इसके तहत बारिश के दौरान बेकार बह जाने वाले क्षिप्रा के जल को उज्जैन से 25 किमी दूर सेवरखेड़ी स्थित तालाब में स्टोर किया जाएगा। फिर इसी जल को पाइपलाइन के जरिए उज्जैन के त्रिवेणी घाट के पास क्षिप्रा में छोड़ा जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि 2028 के महाकुंभ में करीब 16 करोड़ लोग क्षिप्रा में डुबकी लगाएंगे।
गौरतलब है कि 2016 के सिंहस्थ में देवास के पास नर्मदा जल लाकर लगातार िक्षप्रा में छोड़ा जाता था, जिससे स्नान के लायक जलस्तर बना रहता था। हालांकि श्रद्धालुओं और संत समाज की मांग थी कि कुंभ स्नान क्षिप्रा के जल में ही होना चाहिए, न कि नर्मदा से लाए जल में। वर्तमान में क्षिप्रा का 90% प्रवाह बारिश के दौरान जुलाई से लेकर सितंबर तक होता है। स्थानीय किसान 15 नवंबर के बाद से नदी के पानी का उपयोग सिंचाई में करने लगते हैं। इससे धीरे-धीरे प्रवाह कम होने लगता है। सेवरखेड़ी के सिलारखेड़ी तालाब में फिलहाल स्टोरेज क्षमता 4 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) है, योजना के तहत इसे बढ़ाकर 55 एमसीएम किया जाएगा। साथ ही कुल 21 बैराज बनाकर भी क्षिप्रा का पानी स्टोर करने की योजना है।
मानसून बाद 1000 लीटर/सेकंड पानी क्षिप्रा में छोड़ेंगे पाइपलाइन के जरिए
प्लान के मुताबिक सिलारखेड़ी तालाब में मानसून में 55 एमसीएम पानी लिफ्ट करके स्टोर किया जाएगा। इसे भरने में करीब 45 दिन लगेंगे। तालाब की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी। इस पर सालभर में 6 मेगावाट बिजली लगेगी। मानसून बाद 4.5 महीने तक 5 क्यूमेक्स (1000 ली/सेकंड) पानी क्षिप्रा में त्रिवेणी घाट के पास पाइपलाइन से छोड़ेंगे।
अभी एक बार स्नान के लिए नर्मदा जल भरने में लगते हैं 3 -4 दिन
क्षिप्रा में पानी कम होने पर किसी पर्व के मौके पर स्नान के लिए नर्मदा जल लाकर भरने में 3-4 दिन लगते हैं। नए प्लान के तहत क्षिप्रा में सालभर प्रवाह निरंतर होने पर शुद्ध जल से स्नान हो सकेंगे, न कि रुके हुए जल से।
संत बोले- क्षिप्रा में ही गिरी थीं अमृत बूंदें
अमृत की बूंदें क्षिप्रा में ही गिरी थीं। कुंभ में मोक्ष तभी मिलेगा, जब क्षिप्रा जल में स्नान हो। अन्य तीर्थ स्थलों जैसे क्षिप्रा सालभर प्रवाहमान हो। हाल ही में हुई संत समाज की बैठक में ये सभी मुद्दा उठा था।
-महंत रवींद्र पुरी, अध्यक्ष,अखाड़ा परिषद
संकल्प यही कि क्षिप्रा में हो कुंभ स्नान
संत समाज की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संकल्प है कि सिंहस्थ 2028 महाकुंभ का स्नान क्षिप्रा जल से ही हो। इसके लिए 667 करोड़ के प्लान पर काम चल रहा है। इस पवित्र आयोजन में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
- तुलसी सिलावट, जल संसाधन मंत्री