भारत की पहली 'मेड-इन-इंडिया' चिप दिसंबर 2024 तक अवेलेबल हो जाएगी। इस बात की जानकारी IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने एक टीवी इवेंट में दी। वैष्णव ने कहा कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स का हब बन गया है।
यहां से अभी 1 बिलियन डॉलर (करीब ₹8,294 करोड़) का टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट का एक्सपोर्ट हो रहा है। अगले 5 साल यानी 2029 तक भारत दुनिया के टॉप-5 चिप ईकोसिस्टम का हिस्सा होगा।
पिछले सप्ताह वैष्णव ने कहा था कि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और गुजरात के धोलेरा में बन रहा CG पावर से भारत का पहला सेमीकंडक्टर चिप 2026 के अंत तक मार्केट में आएगा।
प्लांट के मैन्यूफैक्चरिंग का काम 100 दिन में शुरू होगा
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'इंडियाज टेकेड: चिप्स फॉर विकसित भारत' कार्यक्रम में लगभग 1.26 लाख करोड़ रुपए के तीन सेमीकंडक्टर फैसिलिटीज की नींव रखी। इस मौके पर मोदी ने कहा कि इससे भारत को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए ग्लोबल हब बनने में मदद मिलेगी।
आज, हम इतिहास भी लिख रहे हैं और उज्ज्वल भविष्य की ओर मजबूत कदम उठा रहे हैं। 21वीं सदी तकनीक आधारित सदी है, जिसकी कल्पना चिप्स के बिना नहीं की जा सकती। तीनों फैसिलिटीज की मैन्युफैक्चरिंग का काम 100 दिनों के अंदर काम शुरू होगा।
29 फरवरी यूनियन कैबिनेट ने मंजूरी दी थी
इससे पहले यूनियन कैबिनेट ने 29 फरवरी को चिप प्लांट के तीन प्रपोजल को मंजूरी दी थी। इन तीनों प्लांट को 'डेवलपमेंट ऑफ सेमीकंडक्टर्स, एंड डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग ईकोसिस्टम इन इंडिया' के तहत मंजूरी दी गई।
सेमीकंडक्टर चिप क्या होती है?
सेमीकंडक्टर चिप सिलिकॉन से बनी होती है और सर्किट में इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल करने के काम आती है। ये चिप एक दिमाग की तरह इन गैजेट्स को ऑपरेट करने में मदद करती है। इसके बिना हर एक इलेक्ट्रॉनिक आइटम अधूरा है। कंप्यूटर, लैपटॉप, कार, वॉशिंग मशीन, ATM, अस्पतालों की मशीन से लेकर हाथ में मौजूद स्मार्टफोन तक सेमीकंडक्टर चिप पर ही काम करते हैं।
कैसे काम करता है सेमीकंडक्टर?
ये चिप इलेक्ट्रॉनिक आइटम को ऑटोमैटिकली ऑपरेट करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट वॉशिंग मशीन में कपड़े पूरी तरह धुलने के बाद ऑटोमैटिक मशीन बंद हो जाती है। इसी तरह कार में जब आप सीट बेल्ट लगाना भूल जाते हैं, तो कार आपको अलर्ट देती है। ये सेमीकंडक्टर की मदद से ही होता है।