2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड-दतिया संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े देवाशीष जरारिया ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वरिष्ठ नेता दिग्विजय से के कहने पर देवाशीष ने कांग्रेस जॉइन की थी। वे जेएनयू नेता कन्हैया कुमार एवं जिग्नेश मेवाणी के करीबी हैं। वे कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ नजर आए थे।
इस बार भिंड-दतिया संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने भांडेर विधायक फूल सिंह बरैया को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही देवाशीष कांग्रेस नेताओं से नाराज थे। उन्होंने आज अपना इस्तीफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को भेज दिया।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले देवाशीष को 2019 के भिंड से कांग्रेस का टिकट दिया गया था. हालांकि, वह यह चुनाव हार गए थे। उनके टिकट की सिफारिश सीधे राहुल गांधी ने की थी। इसके बाद उनकी गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होने लगी। दिग्विजय सिंह से उनकी पहचान व्यापमं के व्हिसिलब्लोअर आनंद राय ने और हीरालाल अलावा ने इंदौर में कराई थी। इसके बाद ही वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
अब जानिए जरारिया ने इस्तीफे में क्या लिखा
गहन विचार-विमर्श और पार्टी द्वारा हाशिए पर धकेले जाने के बाद लगता है कि समय कठोर निर्णय लेने का है। 2019 में पार्टी ने मुझे भिंड-दतिया लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। हारने के बाद कोई उम्मीदवार क्षेत्र में वापस लौट कर नहीं जाता, लेकिन पार्टी को मजबूत करने की लगन थी तो खुद को पूरी तरह झोंक दिया। निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आने के बाद भी आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए, संघर्ष जारी रखा। प्रदेश के वरिष्ठ नेतृत्व ने कहा कि अगले लोकसभा की तैयारी करो तुम्हे फिर मौका देंगे।
इन पांच वर्षों में मध्यप्रदेश में उप चुनाव, विधानसभा चुनाव हुए। सभी में कहा गया कि तुम हमारे लोकसभा उम्मीदवार हो तुम्हें लोकसभा लड़ना है, मैंने कोई टिकट नहीं मांगा। पांच साल जब क्षेत्र में संघर्ष की बात थी तो कोई नहीं था, लेकिन जैसे ही वर्तमान लोकसभा चुनाव आए तो मेरा टिकट काट दिया गया। उसके बाद पार्टी ने संगठन में जिम्मेदारी देने की बात कही गई। जोकि आज दिनांक तक भी पूरी नहीं की गई। टिकट कटने के बाद से ही न तो प्रदेश संगठन के बड़े नेताओं ने कोई बात की और न प्रत्याशी ने, क्षेत्र के कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया जा रहा है।
मेरा क्या कुसूर था, यही कि पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत की, ग्रुप बाजी करके कांग्रेस में ही कांग्रेस को नहीं निपटाया। कांग्रेस में जो भीतरघात करता है उसी को सबसे ज्यादा पूछा जाता है। जो मेरे चरित्र में नहीं है। पार्टी दलितों आदिवासियों, महिलाओं पिछड़ों के सम्मान और हक की बात करती है। लेकिन मेरे हक पर ही डांका डाल दिया।
इससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में कोई समानता नहीं है। दलित समाज केवल इस्तेमाल करने और फेंक देने के लिए है। महिलाओं की बात करे तो पूरे प्रदेश में केवल एक महिला को टिकट दिया है, ओबीसी की जातिगत जन की बात करने वाली पार्टी ने 29 सीटों में से केवल 5 सीट ओबीसी को दी है।
जब आप पार्टी के अंदर दलितों आदिवासियों, महिलाओं, ओबीसी वर्ग को हिस्सेदारी नहीं दे सकते तो किस मुंह से देश की जनता आप पर विश्वास करेगी। इतने साल पार्टी में काम करते हुए इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी की कोई नीति रीति नहीं है न ही इच्छा शक्ति। मैंने एक माह इंतजार किया लेकिन जहाँ मान सम्मान नहीं है उस जगह को छोड़ देना ही उचित है। अतः में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।
कौन हैं देवाशीष जरारिया
देवाशीष जरारिया मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति कर्मचारी संगठन (अजाक्स) के महासचिव डॉ. पीसी जाटव के बेटे हैं। जरारिया ने ग्वालियर के रामकृष्ण आश्रम में स्कूली शिक्षा के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री ली है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए इन्होंने 6 लाख युवाओं को जोड़ने का रिकॉर्ड बनाया है। मूलत: ग्वालियर के रहने वाले देवाशीष राजनीतिक विश्लेषक माना जाता है।