यह अगला गोल्ड है, सबका भला कर देगा… किसकी बात कर रहे हैं वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल

नई दिल्ली: कॉपर की कीमत में हाल में काफी तेजी आई है। हाल में इसकी कीमत 10,000 डॉलर प्रति टन के ऊपर पहुंच गई थी। इसकी वजह यह है कि नए जमाने की हर तकनीक में इसका यूज हो रहा है और इसे सुपर मेटल कहा जा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रिन्यूएबल एनर्जी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डिफेंस से जुड़े साजोसामान में तांबे का यूज हो रहा है। इसकी बढ़ती डिमांड को देखते हुए अडानी और जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने भी एंट्री मारी है। फिलहाल, भारत में सिर्फ हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और सरकारी कंपनी हिंदुस्तान कॉपर ही तांबा बनाती हैं। इस बीच वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तांबे को अगला सोना करार दिया है। उनका कहना है कि देश के निवेशकों और उद्यमियों को कॉपर पर मिशन मोड में काम करने की जरूरत है।
क्यों बढ़ रही डिमांड
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तांबे की खदानों को फिर से शुरू किया जा रहा है। तांबा गलाने वाली नई भट्टियां भी बन रही हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि तांबे की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। भारत में भी क्रिटिकल और ट्रांजिशन मेटल्स के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं। युवा उद्यमियों और निवेशकों के लिए यह एक बड़ा मौका है। इसे एक मिशन बना लेना चाहिए।’ विशेषज्ञों का मानना है कि तांबे की कीमतें आने वाले समय में और भी बढ़ सकती हैं। इसलिए तांबे में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
भारत में खपत
भारत में रिफाइंड तांबे का उत्पादन लगभग 555,000 टन प्रति वर्ष है, जबकि घरेलू खपत 750,000 टन से ज्यादा है। भारत हर साल लगभग 500,000 टन तांबा आयात करता है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार 2030 तक भारत में तांबे की मांग दोगुनी हो सकती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत में प्रति व्यक्ति तांबे की खपत लगभग 0.6 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत 3.2 किलोग्राम है। तांबे के उत्पादन में चिली सबसे ऊपर हैं। उसके बाद पेरू का नंबर है। चीन और कांगो भी तांबे के बड़े उत्पादक देश हैं।