एक मूकबधिर मां की बेटी की सुपोषण यात्रा

दुर्ग । महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषण मुक्ति की दिशा में किए जा रहे निरंतर प्रयासों का असर अब जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है। इसी प्रयास की एक प्रेरणादायक मिसाल है तेलुगु पारा मरौदा आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़ी एक विशेष कहानी मूकबधिर माता की बेटी उमेश्वरी रानी मेहर की।

उमेश्वरी रानी का जन्म 9 जून 2021 को हुआ था, तब उसका वजन केवल 2 किलोग्राम था। जो गंभीर कुपोषण की श्रेणी में आता है। उसके पिता सुरेश मेहर भिलाई स्टील प्लांट में मजदूरी करते हैं, और माता लुकेशवरी मूकबधिर एवं शारीरिक रूप से कमजोर हैं। ऐसे में उमेश्वरी की देखभाल का जिम्मा उसकी नानी ने संभाला।

आर्थिक व पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उसे न्यूट्रिशनल रिहैबिलिटेशन सेंटर (एनआरसी) में भर्ती नहीं कराया जा सका। इस कठिन परिस्थिति में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बिंदु साहू ने हार नहीं मानी। उन्होंने सहायिका दुलेश्वरी के साथ मिलकर लगातार प्रभावी गृहभेट की, जिससे परिवार को सही पोषण, साफ-सफाई, और रेडी-टू-ईट भोजन के उपयोग की जानकारी दी जाती रही। बच्ची को समय पर दवाइयाँ देना, घरेलू भोजन को पोषणयुक्त बनाना, और देखभाल के छोटे-छोटे मगर अहम पहलुओं को बार-बार समझाया गया।

आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक शिल्पा श्रीवास्तव बताती हैं कि लगातार गृहभेट और बाल संदर्भ सेवा के कारण ही आज उमेश्वरी सामान्य पोषण श्रेणी में आ चुकी है। वर्तमान में उसका वजन 12.5 किलोग्राम है। जहाँ पहले वह आंगनबाड़ी केंद्र में सहज नहीं रहती थी, अब वह स्वयं केंद्र आती है और अन्य बच्चों के साथ हंसते-खेलते समय बिताती है।

उमेश्वरी के सुपोषित होने से न केवल उसका स्वास्थ्य सुधरा है, बल्कि पूरे परिवार में नई आशा और खुशी का संचार हुआ है। यह सफलता न केवल उमेश्वरी की है, बल्कि कार्यकर्ताओं की भी है जिन्होंने निरंतर प्रयास और व्यक्तिगत संपर्क, गृहभेट से कुपोषण जैसी गंभीर समस्या को खत्म करने लगातार प्रयास कर रही है।  

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